Read and understand Hindi Matra in depth. For example, words, see how and when Hindi Signs (Matra) are used with Hindi Vowels and Hindi Consonants.
Matra in Hindi
The Hindi term ‘Matra’ is used to represent the vowel sign. After a vowel, the letter ‘:’ implies a lengthier sound.
Vowels in Hindi: अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऍ ऐ ओ ऑ औ
Matra in Hindi: ा ि ी ु ू ृ े ॅ ै ो ॉ ौ
अ की मात्रा वाले शब्द
अब | जग |
जब | मग |
बस | कप |
तप | चल |
कह | यह |
वह | जन |
तर | जर |
सर | फस |
लद | फल |
रट | पल |
पर | बल |
रस | चर |
कर | मर |
जल | कट |
कलम | तरन |
सरल | धरन |
तरल | मलय |
कलश | हरम |
रहम | जलन |
सहन | फलन |
शरबत | अचकन |
हडसन | बचपन |
परबत | खटपट |
दशरथ | अलवर |
चटपट | सरगम |
धड़कन | चरभर |
Hindi Vowels and their Signs (Matra)
Vowels(Svar) | sign/matra | Mode of writing | |
अ | N/A | क्+अ | क |
आ | (-T) | क्+आ | का |
इ | ि | क्+इ | कि |
ई | ( ◌ी ) | क्+ई | की |
उ | ( ◌ु) | क्+उ | कु |
ऊ | (◌ू) | क्+ऊ | कू |
ऋ | (◌ृ) | क्+ऋ | कृ |
ए | ( ◌े) | क्+ए | के |
ऐ | (◌ै) | क्+ऐ | कै |
ओ | (◌ो) | क्+ओ | को |
औ | (-◌ौ) | क्+औ | कौ |
अं | (◌ं) | क्+अं | कं |
अ: | ( : ) (Visarga) | क्+अ: | कः |
Hindi Matra Name and Where is it used?
Martra Name | sign/matra | Where is it used? | Consonant Shapes formed |
AA | (-T) | आ | क्+आ =का |
I | ि | इ | क्+इ = कि |
II | ( ◌ी ) | ई | क्+ई = की |
U | ( ◌ु) | उ | क्+उ = कु |
UU | (◌ू) | ऊ | क्+ऊ = कू |
VOCALIC R | (◌ृ) | ऋ | क्+ऋ = कृ |
E | ( ◌े) | ए | क्+ए =के |
CANDRA E | ( ॅ ) | ऍ | क्+ॅ= कॅ |
AI | (◌ै) | ऐ | क्+ऐ = कै |
O | (◌ो) | ओ | क्+ओ = को |
CANDRA O | ( ॉ ) | ऑ | क्+औ = कौ |
AU | (-◌ौ) | औ | क्+अं =कं |
Hindi Matra Name and Where is it used?
Martra Name | sign/matra | Where is it used? | Consonant Shapes formed |
AA | (-T) | आ | क्+आ =का |
I | ि | इ | क्+इ = कि |
II | ( ◌ी ) | ई | क्+ई = की |
U | ( ◌ु) | उ | क्+उ = कु |
UU | (◌ू) | ऊ | क्+ऊ = कू |
VOCALIC R | (◌ृ) | ऋ | क्+ऋ = कृ |
E | ( ◌े) | ए | क्+ए =के |
CANDRA E | ( ॅ ) | ऍ | क्+ॅ= कॅ |
AI | (◌ै) | ऐ | क्+ऐ = कै |
O | (◌ो) | ओ | क्+ओ = को |
CANDRA O | ( ॉ ) | ऑ | क्+औ = कौ |
AU | (-◌ौ) | औ | क्+अं =कं |

दोस्तो मात्राएँ कभी-भी व्यंजन की नहीं होती है, वह स्वर की होती है। हम व्यंजन को बोलने के लिए स्वरों की मात्राओं का इस्तेमाल करते है। स्वर की आवाज के लिए हमें कोई चिह्न चाहिए होता है, जिसे हम मात्रा(Hindi Matra)कहते है। मात्राओं की संख्या 11 होती है परन्तु ’अ’ की कोई मात्रा नहीं होती, इसलिए हम दस मात्राओं का ही इस्तेमाल करते है।
हिन्दी में शब्दों और वाक्यों को लिखने के लिए मात्राओं की आवश्यकता होती है इसीलिए हिंदी वर्णमाला को दो भागों में बांटा गया है:
- स्वर
- व्यंजन
मात्राएँ हमेशा स्वर की ही होती है क्योंकि वे स्वतंत्र होती है। व्यंजन का उपयोग बिना स्वर के नहीं होता है क्योंकि हमेशा व्यंजनों को पूरा लिखने के लिए स्वरों की सहायता ली जाती है।