poem on river in hindi
मैं नदी हूंहिमालय की गोद से बहती हूंतोड़कर पहाड़ों को अपने साहस सेसरल भाव से बहती हूं। लेकर चलती हूं मैं सबको साथचाहे कंकड़ हो चाहे झाड़बंजर को भी उपजाऊ बना दूऐसी हूं मैं नदी। बिछड़ों को मैं मिलातीप्यासे की प्यास में बुझातीकल-कल करके में बहतीसुर ताल लगाकर संगीत बजाती। कहीं पर गहरी तो कहीं …